आप 15 जनवरी 1936 को प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश (भारत) में पैदा हुए। आपने अलीगढ़ विश्वविद्यालय से 1953 में अंग्रेजी में एमए किया। आपके परंपरागत इल्म और फ़ज़ल की क़दीम रिवायत बाप और माँ दोनों से विरासत में मिली। ज़रिया मायश के लिए हिन्द में तोवेल अर्से तक नौकरी की। आप शायर के अलावा अफ़साना निगार, नाक़द और मुहाक़िक हैं। रिसाला ‘शब-ए-ख़ून’ जो अलीगढ़ से निकलता रहा, आप उसके एडिटर थे। आप दो दर्जन से ज़्यादा किताबों के मुसन्निफ़ और मौलिफ़ हैं।
Shamsur Rahman Faruqi Books
- गंज सोखता,
- सब्ज़ अंदर सब्ज़,
- चारसमत का दरिया,
- आसमान मेहराब (शाइरी मजमूआ),
- सवार और दूसरे अफ़साने,
- अफ़साने की हमायत में,
- लफ़्ज़ और मानी,
- फ़ारूक़ी के तब्सरे,
- शायर शोर अंगैज़,
- अरूज़,
- आहंग और बयान,
- उर्दू ग़ज़ल के अहम मवार (मजमूआ है मज़ामीन)।
25 दिसम्बर 2020 को शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी इंतिक़ाल कर गए।
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Shamsur Rahman Faruqi Gazal
उनका ख्याल हर तरफ, उनका जमाल हर तरफ
हैरत-ए जल्वा रू-ब-रू, दस्त-ए सवाल हर तरफ
मुझ से शिकस्ता पा से है शहर की तेरे आबरू
छोड़ गए मेरे कदम, नकश-ए कमाल हर तरफ
हम हैं जवाँ भी, पीर भी, हम हैं अदम भी, जीस्त भी
हम हैं असीर-ए हल्क़ा-ए क़ोल, मुहाल हर तरफ
नगमा-गरा है बूंद-बूंद, फिर भी उठी है कितनी गूंज
उड़ती फिरे है ज़हन में गर्द-ए ख़्याल हर तरफ
दिल-ए हयात ओ मौत से मिल न सका कोई जवाब
फेंका किए हैं गरचे हम संग-ए सवाल हर तरफ।